मृत्यु ऐसा कड़वा सच जिसे स्वीकारना मुश्किल नकारना तो है नामुमकिन। मृत्यु ऐसा कड़वा सच जिसे स्वीकारना मुश्किल नकारना तो है नामुमकिन।
आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये
वही पर ही हम चल पड़े था जो एक अनजाना सफर। वही पर ही हम चल पड़े था जो एक अनजाना सफर।
माँ पर इस छोटे शब्द में ही पूरी कायनात समा जाती है। माँ पर इस छोटे शब्द में ही पूरी कायनात समा जाती है।
सूरत अपनी कब दिखलाओगे सच बतलाओ तुम कब आओगे। सूरत अपनी कब दिखलाओगे सच बतलाओ तुम कब आओगे।
बेरुखी भी तेरा एक हथियार ही रहा है बदले में मिली बेरुखी पे ना मलाल कर। बेरुखी भी तेरा एक हथियार ही रहा है बदले में मिली बेरुखी पे ना मलाल कर।